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नज़्म
जो हलवा रख के अलमारी में आपी बंद करती हैं
खिलाती हैं न खाती हैं पड़ा बर्बाद होता है
मुश्ताक़ अहमद नूरी
नज़्म
उस के वास्ते ऐमन इक पीतल का पिंजरा लाए थे
आपी ने भी तीन कटोरे चाँदी के मँगवाए थे
मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
नज़्म
फिर वो टूटा इक सितारा फिर वो छूटी फुल-जड़ी
जाने किस की गोद में आई ये मोती की लड़ी