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नज़्म
सीना-ए-कोहसार पर चढ़ती हुई बे-इख़्तियार
एक नागन जिस तरह मस्ती में लहराती हुई
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ख़ुदा का शुक्र है हम इम्तिहाँ में पास हुए
जिन्हें था अपनी लियाक़त पे ए'तिबार बहुत
कैफ़ अहमद सिद्दीकी
नज़्म
दिल में जब अशआर की होती है बारिश बे-शुमार
नुत्क़ पर बूँदें टपक पड़ती हैं कुछ बे-इख़्तियार
जोश मलीहाबादी
नज़्म
तुम्हारे प्यार के बदले जो प्यार तुम को दिया
मेरी वफ़ाओं ने जो इख़्तियार तुम को दिया
अमीता परसुराम मीता
नज़्म
इस की सोहबत से फ़रोज़ाँ आज शम-ए-ए'तिबार
इस की उल्फ़त से दरख़्शाँ आज हुस्न-ए-इख़्तियार
अता आबिदी
नज़्म
पब्लिक से झूटे वादे भी कर लेते हैं सभी
मैं नय भी इख़्तियार की ये पॉलीसी जभी