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नज़्म
है तेरे नग़्मों का शैदा 'हबीब' मुद्दत से
इसी शराब में है मस्त बादा-ख़्वार तिरा
जयकृष्ण चौधरी हबीब
नज़्म
जब एक मय-कदे के हो बादा-ख़्वार दोनों
हाँ छोड़ दो ये रंजिश बन जाओ यार दोनों
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
नज़्म
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
यूँ तो इस दुनिया की हर इक चीज़ नियारी है
लेकिन अपने देस की धरती सब से प्यारी है