आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "بجلیاں"
नज़्म के संबंधित परिणाम "بجلیاں"
नज़्म
बिजलियाँ जिस में हों आसूदा वो ख़िर्मन तुम हो
बेच खाते हैं जो अस्लाफ़ के मदफ़न तुम हो
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हमारा नर्म-रौ क़ासिद पयाम-ए-ज़िंदगी लाया
ख़बर देती थीं जिन को बिजलियाँ वो बे-ख़बर निकले
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
छुपा कर आस्तीं में बिजलियाँ रक्खी हैं गर्दूं ने
अनादिल बाग़ के ग़ाफ़िल न बैठें आशियानों में
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ज़लज़ले हैं बिजलियाँ हैं क़हत हैं आलाम हैं
कैसी कैसी दुख़्तरान-ए-मादर-ए-अय्याम हैं
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
क़दम क़दम पे दे उठी है लौ ज़मीन-ए-रह-गुज़र
अदा अदा में बे-शुमार बिजलियाँ लिए हुए
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
اپنے صحرا ميں بہت آہو ابھي پوشيدہ ہيں
بجلياں برسے ہوئے بادل ميں بھي خوابيدہ ہيں!
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तेरी तानों में है ज़ालिम किस क़यामत का असर
बिजलियाँ सी गिर रही हैं ख़िर्मन-ए-इदराक पर
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
बिजलियाँ जिस की कनीज़ें ज़लज़ले जिस के सफ़ीर
जिस का दिल ख़ैबर-शिकन जिस की नज़र अर्जुन का तीर