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नज़्म
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
तू जो मिल जाए तो तक़दीर निगूँ हो जाए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
क़ैद भी कर दें तो हम को राह पर लाएँगे क्या
ये जुनून-ए-इश्क़ के अंदाज़ छुट जाएँगे क्या
जोश मलीहाबादी
नज़्म
मुजरिम-ए-सरताबी-ए-हुस्न-ए-जवाँ हो जाइए
गुल-फ़िशानी ता-कुजा शोला-फ़िशाँ हो जाइए
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
आप दोनों लड़ पड़े तो जाने क्या हो जाएगा
दो मिनट में इस जहाँ का ख़ात्मा हो जाएगा
राजा मेहदी अली ख़ाँ
नज़्म
ज़ियादा देर खड़े रहने से और बढ़ जाएगा घुटने का दर्द
क्या ख़याल है सब्ज़ चाय के बारे में