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नज़्म
जनम दिन लक्ष्मी का है भला इस दिन का क्या कहना
यही वो दिन है जिस ने राम को राजा बनाया था
नज़ीर बनारसी
नज़्म
हम ने बकरी के बच्चों को कमरों में नचाना छोड़ दिया
नाराज़ न हो अम्मी हम ने हर शौक़ पुराना छोड़ दिया
राजा मेहदी अली ख़ाँ
नज़्म
राजा मेहदी अली ख़ाँ
नज़्म
ये मेरे सामने बैठे हुए फूलों से नाज़ुक लोग
मिरे होंठों से एक इक नज़्म का यूँ टूटते रहना
त्रिपुरारि
नज़्म
मारो न हमें डैडी बचपन का ज़माना है
मौसम है ये हँसने का हँस हँस के बिताना है