आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "سرگشتہ"
नज़्म के संबंधित परिणाम "سرگشتہ"
नज़्म
तिरा ये रिंद-ए-सर-गश्ता जिसे 'फ़ारूक़' कहते हैं
इसी तन्क़ीद के चलते बहुत बदनाम है साक़ी
शमीम फ़ारूक़ बांस पारी
नज़्म
बहर-ए-तूफ़ानी-ए-दुनिया में हैं हम सर-गश्ता
मौज-ए-ग़म में है जहाज़ अपना थिएटर खाता
सूरज नारायण मेहर
नज़्म
मैं कि मिरी ग़ज़ल में है आतिश-ए-रफ़्ता का सुराग़
मेरी तमाम सरगुज़िश्त खोए हुओं की जुस्तुजू!
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ये दश्त-ए-दहर में हमदर्दियों का सरचश्मा
क़ुबूलियत का ये जज़्बा ये काएनात ओ हयात
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
यही सरचश्मा-ए-असली है तहज़ीब-ओ-तमद्दुन का
बग़ैर इस के बशर होना भी है इक सख़्त बीमारी
अहमक़ फफूँदवी
नज़्म
इक सोची समझी हिसाबी लगावट से
जैसे वो उन ख़ुफ़िया सर-चश्मा-गाहों के हर राज़ को जानती हो
नून मीम राशिद
नज़्म
ये बा-अख़्लाक़ क़ौमों में सिरिश्ता है उख़ुव्वत का
सुलूक-ए-ग़ैर से भी आज ख़ुश-अंजाम है उर्दू
माजिद-अल-बाक़री
नज़्म
दिल की सर-बस्ता कली फ़र्त-ए-ख़ुशी से खुल जाए
उस को अमृत मिले जिस को तिरा पानी मिल जाए