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नज़्म
मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग
मैं ने समझा था कि तू है तो दरख़्शाँ है हयात
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
हँसते और मुस्काते बच्चे भारत देस की शान
नन्ही मुन्नी कोमल कलियाँ कहीं न मुरझा जाएँ
सय्यदा फ़रहत
नज़्म
जहाँ मिरे बचपन की नन्ही-मुन्नी यादें सोती हैं
जहाँ मिरी मा'सूम तमन्नाओं ने घरौंदे खींचे थे
इशरत आफ़रीं
नज़्म
मुन्नी की आँख नम है तो मुन्ना के दिल में ग़म
बेचैनियों में कोई किसी से नहीं है कम