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नज़्म
और कोई हम-नवा मिल जाए ये क़िस्मत नहीं
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग
मैं ने समझा था कि तू है तो दरख़्शाँ है हयात
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
असर कुछ ख़्वाब का ग़ुंचों में बाक़ी है तू ऐ बुलबुल
नवा-रा तल्ख़-तरमी ज़न चू ज़ौक़-ए-नग़्मा कम-याबी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
तेरी फ़ज़ा दिल-फ़रोज़ मेरी नवा सीना-सोज़
तुझ से दिलों का हुज़ूर मुझ से दिलों की कुशूद
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
शराब-ए-रूह-परवर है मोहब्बत नौ-ए-इंसाँ की
सिखाया इस ने मुझ को मस्त बे-जाम-ओ-सुबू रहना
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जिन शहरों में गूँजी थी ग़ालिब की नवा बरसों
उन शहरों में अब उर्दू बेनाम-ओ-निशाँ ठहरी
साहिर लुधियानवी
नज़्म
गर्द से पाक है हवा बर्ग-ए-नख़ील धुल गए
रेग-ए-नवाह-ए-काज़िमा नर्म है मिस्ल-ए-पर्नियाँ