aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "گھٹنا"
और इंसानों के दिल में बढ़ रही दूरीकहीं नाराज़गी आँखों में भर कर ख़ुद में ही घुटना
मारो घुटना फूटे आँखछुटकी इतनी बड़ मत हाँक
ये ज़ख़्म गुलज़ार बन गए हैंये आह-ए-सोज़ाँ घटा बनी है
इक हश्र बपा है घर में दम घुटता है गुम्बद-ए-बे-दर मेंइक शख़्स के हाथों मुद्दत से रुस्वा है वतन दुनिया-भर में
सर पर छाया छतरी होगीऔर धूप घटा बन जाएगी
ले के पहुँचे जहाँबट रहे थे घटा-टोप बे-अंत रातों के साए
इंसान की क़िस्मत गिरने लगी अजनास के भाव चढ़ने लगेचौपाल की रौनक़ घुटने लगी भरती के दफ़ातिर बढ़ने लगे
रोज़ जब धूप पहाड़ों से उतरने लगतीकोई घटता हुआ बढ़ता हुआ बेकल साया
और अब जब कि मिरी रूह की पहनाई मेंएक सुनसान सी मग़्मूम घटा छाई है
ये मस्त मस्त घटा, ये भरी भरी बरसाततमाम हद्द-ए-नज़र तक घुलावटों का समाँ
चारों सम्त अंधेरा घुप है और घटा घनघोरवो कहती है कौन
कमरे में घटा सन्नाटावक़्त-बे-वक़्त उठा लेता है
सीने से घटा उट्ठे आँखों से झड़ी बरसेफागुन का नहीं बादल, जो चार-घड़ी बरसे
ख़ून रोएगी समा पर मेरे मरने पे शफ़क़ग़म मनाने के लिए काली घटा आएगी
बहुत घुटन है कोई सूरत-ए-बयाँ निकलेअगर सदा न उठे कम से कम फ़ुग़ाँ निकले
जिस गुल-बदन के तन में पोशाक सौसनी हैसो वो परी तो ख़ासी काली-घटा बनी है
मुझे चलती हवा की तरह मत चाहोकि जिस के क़याम से दम घुटता है
घनाजिस के साए में मेरा बहुत वक़्त बीता है
क्यूँ नहीं बहती, चम्बेली ने कहाऔर वो बरगद का घना पेड़ किनारे उस के?
आस वो बाँधे बैठे हैं मेंह कीघटा जिन की असाड़ी में है
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