aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "अलाव"
रात-भर सर्द हवा चलती रहीरात-भर हम ने अलाव तापा
हर हिज्र का दिन था हश्र का दिनदोज़ख़ थे फ़िराक़ के अलाव
धड़कनों में आज भीइश्क़ का अलाव है
ये मंज़रों की झलक खेत बाग़ दरिया गाँववो कुछ सुलगते हुए कुछ सुलगने वाले अलाव
और पत्थर से निकाला शोलाऔर रौशन किया अपने से बड़ा एक अलाव
काश तुम उस की हक़ीक़त पे नज़र डाल सकोहै ये इक आतिश-ए-सद-बर्क़-बदामाँ का अलाव
मेरे सपने में दहकने दे यही ग़म का अलावमेरे चेहरे पे उदासी का धुआँ रहने दे
आँख के दश्त में अब लाख अलाव देखेंरूह की बर्फ़ पिघलती ही नहीं
हमारे सुनसान गुम्बदों मेंकभी वो भड़के अलाव बन कर
ख़ुद अपने अलाव में जलने लगा है!मिरे हाथ में हाथ दे दो!
ख़ुदा ने अलाव जलाया हुआ हैउसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा है
नग़्मा-दर-जाँ रक़्स बरपा ख़ंदा-बर-लबदिल तमन्नाओं के बे-पायाँ अलाव के क़रीब
रात आँखों में बिता देती हैकभी करती है अलाव रौशन
चुपके चुपके ही चटकने दो इशारों के गुलाबधीमे धीमे ही सुलगने दो तक़ाज़ों के अलाव!
बुझते ख़ूँ काअलाव है कि तिला
सर-बर-आवुर्दा सनोबर की घनी शाख़ों मेंआफ़्ताब एक अलाव की तरह रौशन है
कहीं अँगेठी कहीं अलाव हाथ तापते जाओमौसम दौड़े और पीछे रह जाए दिसम्बर बाबा
सियह राख मल करअलाव के चारों तरफ़ नाचती है!
वहाँ अलाव तो क्या, राख का निशाँ भी न थाचराग़-ए-कुश्ता-ए-महफ़िल धुआँ धुआँ भी न था
अपने अपने बदन के अलाव में जल जाएँगेदूर के
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