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नज़्म
ये ज़ोम-ए-क़ुव्वत-ए-फ़ौलाद-ओ-आहन देख लो तुम भी
ब-फ़ैज़-ए-जज़्बा-ए-ईमान-ए-मोहकम हम भी देखेंगे
साहिर लुधियानवी
नज़्म
ये मुझ से पूछता है अख़्तर-उल-ईमान तुम ही हो
ख़ुदा-ए-इज़्ज़-ओ-जल की नेमतों का मो'तरिफ़ हूँ मैं
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
सबात-ए-ज़िंदगी ईमान-ए-मोहकम से है दुनिया में
कि अल्मानी से भी पाएँदा-तर निकला है तूरानी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अगर नहूसत की जान है वो तो बंदा ईमान-ए-मुफ़्लिसी है
इसी लिए एक दूसरे से हमें मोहब्बत है वालिहाना
क़ाज़ी गुलाम मोहम्मद
नज़्म
सिख न ईसाई न हिन्दू न मुसलमान है तू
तेरा ईमान ये कहता है कि इंसान है तू
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
नज़्म
इस अर्ज़-ए-पाक पर ईमान ये हम-आहंगी
हर आदमी से हर इक ख़्वाब ओ ज़ीस्त से ये लगाव