aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "कौसर"
वो होंट फ़ैज़ से जिन के बहार लाला-फ़रोशबहिश्त ओ कौसर ओ तसनीम ओ सलसबील ब-दोश
आती है नद्दी फ़राज़-ए-कोह से गाती हुईकौसर ओ तसनीम की मौजों को शरमाती हुई
कौसर के चश्मे जा-ब-जातसनीम हर आब-ए-रवाँ
कौसर ओ तसनीम है या सलसबीलजल्वे हैं सब तेरे ये बे-क़ाल-ओ-क़ील
बच्चों की प्यास मालिक-ए-कौसर पे शाक़ थीसाक़ी को वर्ना मय की ज़रूरत न जाम की
मोहब्बत डाइरी हरगिज़ नहीं हैजिस में तुम लिक्खो
बड़ा ग़ज़ब है ख़ुदावंद-ए-कौसर-ओ-तसनीमकि रोज़-ए-'ईद भी तबक़ों का इम्तियाज़ रहा
मौज-ए-कौसर था तिरा सैल-ए-अदा अपने लिएआब-ए-हैवाँ थी तेरी आब-ओ-हवा अपने लिए
हर नक़्श-ए-क़दम पर है फ़िदा ताज-ए-कयानीहर गाम में है चश्मा-ए-कौसर की रवानी
आब-ए-कौसर है अंग्बीं है येशहद के घूँट पी रहा हूँ मैं
साल की आख़िरी शबमेरे कमरे में किताबों का हुजूम
छिन गया कैफ़-ए-कौसर-अो-तसनीमज़हमत-ए-गिर्या-ओ-बुका बे-सूद
उसे कहनाकभी मिलने चला आए
समुंदर चाँदनी में रक़्स करता हैपरिंदे बादलों में छुप के कैसे गुनगुनाते हैं
एक हुजूम अपाहिज है आब-ए-कौसर परये कैसा शोर है जो बे-आवाज़ फैला है
हश्र की सुब्ह दरख़्शाँ हो मक़ाम-ए-महमूदहाथ रौशन रहे कौसर से क़राबत मंज़र
तुम भी मुझ से सारे रिश्ते तोड़ चुकी थींमैं ने भी इक दूसरा रस्ता देख लिया था
मौज-ए-कौसर का छलकता हुआ पैमाना थीग़ैर होंटों के तसव्वुर से भी बेगाना थी
अज़ीम माँतू ने अपने बेटों को
छिड़कता है मय-ए-तसनीम-ओ-कौसर आसमाँ जिन परलुटाती है सहाब-ए-हुस्न-ओ-तलअत कहकशाँ जिन पर
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books