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नज़्म
मेरे आक़ा वो जहाँ ज़ेर-ओ-ज़बर होने को है
जिस जहाँ का है फ़क़त तेरी सियादत पर मदार
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
रात आख़िर हुई और बज़्म हुई ज़ेर-ओ-ज़बर
अब न देखोगे कभी लुत्फ़-ए-शबाना हरगिज़
अल्ताफ़ हुसैन हाली
नज़्म
रात आख़िर हुई और बज़्म हुई ज़ेर-ओ-ज़बर
अब न देखोगे कभी लुत्फ़-ए-शबाना हरगिज़
अल्ताफ़ हुसैन हाली
नज़्म
महमिल में वो बे-ख़्वाब है आलम की ख़बर से
क्या देखिए! क्या शक्ल हुई ज़ेर-ओ-ज़बर से
जीलानी कामरान
नज़्म
मिट गए थे उस की तहरीरों के सब ज़ेर-ओ-ज़बर
मैं ने स्टेटस की ख़ातिर कर तो ली शादी मगर
खालिद इरफ़ान
नज़्म
हो गई ज़ेर-ओ-ज़बर देख लो दुनिया दिल की
दिल ही दिल में रही जाती है तमन्ना दिल की
बिस्मिल इलाहाबादी
नज़्म
हटाए वो पर्दे
जहाँ से हर इक चीज़ ज़ेर-ओ-ज़बर करता सैलाब अब भी उमँडता चला आ रहा था