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नज़्म
अहल-ए-दानिश का रजज़ और सीना-ए-दहक़ाँ की ढाल
लश्कर मज़दूर के हैं हम-सफ़ीर ओ हम-रिकाब
वामिक़ जौनपुरी
नज़्म
शिकस्त-ए-मजलिस-ओ-ज़िन्दाँ का वक़्त आ पहुँचा
वो तेरे ख़्वाब हक़ीक़त में ढाल आए हैं
साहिर लुधियानवी
नज़्म
ढाल लेती है जिन्हें शायर की तरकीब-ए-अदब
ढल के गो वो गौहर-ए-ग़लताँ का पाती हैं लक़ब
जोश मलीहाबादी
नज़्म
जिन्हों के देखे से आशिक़ का होवे ताज़ा क़ुलूब
तिरी निराली है याँ चाल-ढाल होली में