aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "नूर-ए-हयात"
दिल के जज़्बात तिरे साथ हैं ऐ नूर-ए-हयातप्यार का गीत है तो सब को सुनाई देना
हर इक अज़्मत-ओ-शान-ओ-शौकत से ख़ालीये दुनिया है नूर-ए-मसर्रत से ख़ाली
'नूर' ग़ज़ल के फूल खिलामश्क़-ए-सुख़न को जारी रख
नज़र की झील में मुझ को उतारने वालेहयात और भी रंगीं दिखाई देती है
मुझे 'नूर' है दर्द-ए-दिल की तमन्नामगर दर्द भी ला-दवा चाहता हूँ
जो हक़ीक़त से रू-शनास हो 'नूर'वो तिलिस्म-ए-मजाज़ क्या जाने
जनाब-ए-'नूर' हमें तो मिटा दिया लेकिनहमारे नक़्श-ए-मोहब्बत को वो मिटा न सके
इंसान वो करे जो मलक भी न कर सकेंफ़िक्र-ए-मआ'श 'नूर' अगर दरमियाँ न हो
अंधेरा ही अंधेरा हूँ सरापा नूर कर देंगेमगर ये हो नहीं पाया
कहीं हयात के मा'नी नज़र नहीं आतेकहीं हयात का मक़्सद नज़र नहीं आता
जमाल-ए-हस्ती का नूर बन करकमाल-ए-हस्ती का नूर ले कर
फ़िक्र-ओ-आलाम के बादल में हैं अनवार-ए-हयातरौशनी क्या किसी तनवीर का परतव भी नहीं
नश्शे का झुट-पुटा है नूर-ए-हयातझुटपुटे को बना न काली रात
यही वो लौ हे जो रौशन दिमाग़ करती हैइसी चराग़ को नूर-ए-हयात कहते हैं
इश्क़ के मिज़राब से नग़्मा-ए-तार-ए-हयातइश्क़ से नूर-ए-हयात इश्क़ से नार-ए-हयात
वक़्त-ए-फ़ुर्सत है कहाँ काम अभी बाक़ी हैनूर-ए-तौहीद का इत्माम अभी बाक़ी है
नुमायाँ होनूर-ए-क़दीम
ने'मतें सौ हैं तेरे खाने कोलेकिन ऐ नूर-ए-चश्म-ओ-जान-ए-मन
नूर-ए-शाइस्तगी-ओ-शर्म-ओ-हयारिफ़अत-ए-दिलबरी-ओ-रंग-ए-हिना
शीरीनी-ए-लताफ़त-ओ-आराइश-ए-हयातऔर क्या हुए वो नाज़-ओ-नज़ाकत के शाहकार
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