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नज़्म
वो फ़लसफ़े जो हर इक आस्ताँ के दुश्मन थे
अमल में आए तो ख़ुद वक़्फ़-ए-आस्ताँ निकले
साहिर लुधियानवी
नज़्म
मजीद अमजद
नज़्म
कौन सी ज़रूरी बात है जो अन-कही रह गई है
सारे फ़लसफ़े सारे नज़रिये सारे मसाइल तो बयान हो चुके
मोहम्मद हनीफ़ रामे
नज़्म
फ़लसफ़े की ख़ूबसूरत तर्जुमानी तू ने की
दश्त-ए-हू में आँसुओं से बाग़बानी तू ने की
मोहम्मद सादिक़ ज़िया
नज़्म
'पातनजली' को पैदा जिस मुल्क ने किया था
आलम ने फ़लसफ़े का जिन से सबक़ लिया था
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
हम तो जीने के लिए फ़लसफ़े बनते रहते हैं
हम तो जीने के लिए सय्यारे ढूँडते रहते हैं