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नज़्म
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
तू जो मिल जाए तो तक़दीर निगूँ हो जाए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
दूर इक पर्बत की ऊँची चोटी पर इक छोटी सी बदली
क्या जाने पूरब की धुँदले मंडल में क्या ढूँढ रही थी
तख़्त सिंह
नज़्म
आकाश के नीले मंडल पर जो तारों की गुल-कारी है
सज उस की क्या मन-लेवा है धज कैसी प्यारी प्यारी है
ख़्वाजा दिल मोहम्मद
नज़्म
रास-मंडल में कन्हैया सब्ज़ बाक़ी उस की गोपियां
तेज़ बे-हद तेज़ बे-दम हाँफती मौज-ए-हवा की लय
अमीक़ हनफ़ी
नज़्म
ये चमन-ज़ार ये जमुना का किनारा ये महल
ये मुनक़्क़श दर ओ दीवार ये मेहराब ये ताक़
साहिर लुधियानवी
नज़्म
और कोई हम-नवा मिल जाए ये क़िस्मत नहीं
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
मोहब्बत अपनी यक-तौरी में दुश्मन है मोहब्बत की
सुख़न माल-ए-मोहब्बत की दुकान-आराई करता है