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नज़्म
अर्श मलसियानी
नज़्म
तो दिल ताब-ए-नशात-ए-बज़्म-ए-इशरत ला नहीं सकता
मैं चाहूँ भी तो ख़्वाब-आवर तराने गा नहीं सकता
साहिर लुधियानवी
नज़्म
यही मिरी ख़्वाब-गाह-ए-इशरत यही है मेरा निगार-ख़ाना
धुएँ की रंगीन बदलियों में पका रही है जहाँ वो खाना
क़ाज़ी गुलाम मोहम्मद
नज़्म
मौजज़न है मय-ए-इशरत मिरे पैमानों में
यास का दर्द है कम-तर मिरे अफ़्सानों में
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
वक़्त थोड़ा है बहुत काम है करना बाक़ी
दे न मुझ को तू नवेद-ए-शब-ए-‘इशरत ऐ दोस्त
अब्दुल क़य्यूम ज़की औरंगाबादी
नज़्म
रियाज़-ए-दहर में ना-आश्ना-ए-बज़्म-ए-इशरत हूँ
ख़ुशी रोती है जिस को मैं वो महरूम-ए-मसर्रत हूँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ये कस दयार-ए-अदम में मुक़ीम हैं हम तुम
जहाँ पे मुज़्दा-ए-दीदार-ए-हुस्न-ए-यार तो क्या
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
सर-ब-सर इक मुज़्दा-ए-तसकीन-ए-मरदान-ए-ज़ईफ़
क़ुव्वत-ए-बाज़ू-ए-यारान-ए-जवाँ पैदा हुआ