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नज़्म
शाह-ए-गुलफ़ाम गुंजल तिलिस्मों की गुत्थियों को सुलझाता
सरसार जंगल के शो'ला नफ़स अज़दहों से निमटता
ज़फ़र सय्यद
नज़्म
बि-हम्दिल्लह चमक उट्ठा सितारा मेरी क़िस्मत का
कि तक़लीद-ए-हक़ीक़ी की अता शाह-ए-शहीदाँ की
शहीद काकोरवी
नज़्म
जिस मुल्क पर था नाज़ाँ अकबर सा शाह-ए-आज़म
उड़ता था आसमाँ पर शोहरत का जिस की परचम
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
किस किस अंदाज़ से तहरीर किया हाल-ए-सितम
ग़म किया आप ने शाह-ए-शोहदा का क्या क्या
नाज़िश प्रतापगढ़ी
नज़्म
तीन दिन किस तरह फ़ाक़े से रहे शाह-ए-ज़फ़र
तीसरे दिन तश्त पर लाए गए बेटों के सर
प्रेम लाल शिफ़ा देहलवी
नज़्म
शाह-ए-ज़फ़र की हिम्मत जिस ने मर के न मानी हार
अब भी मेरे साथ हैं लाखों 'अबदुल्लाह' 'उस्मान'
मासूम शर्क़ी
नज़्म
रखते हैं जिस की उल्फ़त गाते हैं जिस का नग़्मा
आक़ा-ए-बंदा-पर्वर शाह-ए-दकन हमारा
सुग़रा हुमयूँ मिर्ज़ा
नज़्म
वो कहीं मजबूर-ए-मुतलक़ है कहीं मुख़्तार-ए-कुल
हुस्न का बे-दाम बंदा वर्ना है शाह-ए-जहाँ