आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "सई"
नज़्म के संबंधित परिणाम "सई"
नज़्म
मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग
मैं ने समझा था कि तू है तो दरख़्शाँ है हयात
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
अपने माज़ी के तसव्वुर से हिरासाँ हूँ मैं
अपने गुज़रे हुए अय्याम से नफ़रत है मुझे
साहिर लुधियानवी
नज़्म
जिस के हंगामों में हो इबलीस का सोज़-ए-दरूँ
जिस की शाख़ें हों हमारी आबियारी से बुलंद
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मदद करनी हो उस की यार की ढारस बंधाना हो
बहुत देरीना रस्तों पर किसी से मिलने जाना हो
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
उरूस-ए-शब की ज़ुल्फ़ें थीं अभी ना-आश्ना ख़म से
सितारे आसमाँ के बे-ख़बर थे लज़्ज़त-ए-रम से
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
उस दौर से इस दौर के सूखे हुए दरियाओं से
फैले हुए सहराओं से और शहरों के वीरानों से
नून मीम राशिद
नज़्म
अभी सर्दी पोरों की पहचान के मौसम में है
इस से पहले कि बर्फ़ मेरे दरवाज़े के आगे दीवार बन जाए
किश्वर नाहीद
नज़्म
फिर मिरे लब पर क़सीदे हैं लब-ओ-रुख़्सार के
फिर किसी चेहरे पे ताबानी सी ताबानी है आज