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नज़्म
नाज़ हो जिस को बहार-ए-मिस्र-ओ-शाम-ओ-रूम पर
सर-ज़मीन-ए-हिंद में देखे फ़ज़ा बरसात की
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
नाज़ हो जिस को बहार-ए-मिस्र-ओ-शाम-ओ-रूम पर
सर-ज़मीन-ए-हिंद में देखे फ़ज़ा बरसात की
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
क़ल्ब पर जिस के नुमायाँ नूर ओ ज़ुल्मत का निज़ाम
मुन्कशिफ़ जिस की फ़रासत पर मिज़ाज-ए-सुब्ह-ओ-शाम
जोश मलीहाबादी
नज़्म
महरम-ए-दर्द-ओ-मसर्रत राज़-दार-ए-सुब्ह-ओ-शाम
महफ़िल-ए-फ़ितरत की ख़मोशी है तुझ से हम-कलाम
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
माबैन-ए-सुब्ह-ओ-शाम जो ये दिन का वक़्फ़ा है
ये मेरी हस्ती-ए-मौहूम का बे-रब्त रक़्स-ए-वालेहाना है