आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "सुख़न-वर"
नज़्म के संबंधित परिणाम "सुख़न-वर"
नज़्म
वो है ताबीर का अफ़्लास जो ठहरा है फ़न मेरा
सुख़न यानी लबों का फ़न सुख़न-वर यानी इक पुर-फ़न
जौन एलिया
नज़्म
तारिक़ क़मर
नज़्म
ख़ार-ओ-ख़स के झोंपड़े मिट्टी के बोसीदा मकाँ
जैसे अंधों के इशारे जैसे गूँगों की ज़बाँ
मयकश अकबराबादी
नज़्म
लर्ज़ा था जिस के बच्चों का नाम सुन के आलम
होता था जिन के आगे शेरों का ख़त्म दम-ख़म
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
ऐ दोस्तो बताओ किस हाल में हो अब तुम
होंटों पे क्यों नहीं है वो शोख़ी-ए-तबस्सुम