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नज़्म
आज का दिन है ख़ुशी का ईद जिस का नाम है
ईद का खाना था सुब्हान-अल्लाह कैसा ला-जवाब
मुर्तजा साहिल तस्लीमी
नज़्म
एक एक कली खिल जाती है और इक इक चिड़िया गाती है
इस ऐसे सुहाने मंज़र में अल्लाह तिरी याद आती है
मोहम्मद शफ़ीउद्दीन नय्यर
नज़्म
प्रयाग पे बिछड़ी हुई बहनें जो मिली हैं
पानी की ज़मीं पर भी तो कलियाँ सी खिली हैं
हामिदुल्लाह अफ़सर
नज़्म
कहें फिर मिल के हम अल्लाह की ये मेहरबानी है
हमारे देस की बरसात भी कैसी सुहानी है