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नज़्म
आँख पर होता है जब ये सिर्र-ए-मजबूरी अयाँ
ख़ुश्क हो जाता है दिल में अश्क का सैल-ए-रवाँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जब ऐसी सर्दी हो ऐ दिल तब रोज़ मज़े की घातें हों
कुछ नर्म बिछौने मख़मल के कुछ ऐश की लम्बी रातें हों
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
मुझे शिकवा नहीं उफ़्तादगान-ए-ऐश-ओ-इशरत से
वो जिन को मेरे हाल-ए-ज़ार पर अक्सर हँसी आई
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
शगुफ़्ता वादियों में जन्नतों के ख़्वाब आते हैं
जहाँ मासूम ताइर इश्क़ के नग़्मे सुनाते हैं
अख़्तर शीरानी
नज़्म
गर्दिश-ए-अय्याम से गो मैं फिरूँ नज़दीक ओ दूर
हर जगह याद-ए-वतन है माया-ए-ए-ऐश-ओ-सुरूर
सफ़ीर काकोरवी
नज़्म
हर जागह ज़र्द लिबासों से हुई ज़ीनत सब आग़ोशों की
सौ ऐश-ओ-तरब की धुएँ में और महफ़िल में मय-नोशों की