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नज़्म
वारिस-ए-असरार-ए-फ़ितरत फ़ातेह-ए-उम्मीद-ओ-बीम
महरम-ए-आसार-ए-बाराँ वाक़िफ़-ए-तब्अ-ए-नसीम
जोश मलीहाबादी
नज़्म
देखना जल्वा-ए-जानाँ का असर आज की रात
फूल ही फूल हैं ता-हद्द-ए-नज़र आज की रात
क़ाज़ी गुलाम मोहम्मद
नज़्म
मिरी दस्तरस में सितारे भी सूरज भी और कहकशाँ भी
मिरी दस्तरस में हवाएँ भी तूफ़ान भी बिजलियाँ भी
इज़हार असर
नज़्म
मलाल ऐसा भी क्या जो ज़ेहन को हर ख़्वाब से महरूम कर दे
जमाल-ए-बाग़-ए-आइंदा के हर इम्कान को मादूम कर दे
इफ़्तिख़ार आरिफ़
नज़्म
ख़्वाह अस्कंदर-ओ-जम हों कि गदायान-ए-ज़लील
जामा-ए-‘अक़्ल से फ़ितरत नहीं होती तब्दील
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
ये बज़्म-ए-शो'ला-कारी ये हरीम-ए-आतिश-अफ़्शानी
ये क़शक़े ये ‘अबाएँ ये गिरानी ये गिराँ-जानी
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
रुख़्सत हुआ वो बाप से ले कर ख़ुदा का नाम
राह-ए-वफ़ा की मंज़िल-ए-अव्वल हुई तमाम
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
नहीं मिन्नत-कश-ए-ताब-ए-शुनीदन दास्ताँ मेरी
ख़मोशी गुफ़्तुगू है बे-ज़बानी है ज़बाँ मेरी