आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ammaara"
नज़्म के संबंधित परिणाम "ammaara"
नज़्म
क़ौम-ए-आवारा इनाँ-ताब है फिर सू-ए-हिजाज़
ले उड़ा बुलबुल-ए-बे-पर को मज़ाक़-ए-परवाज़
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ये इमारात ओ मक़ाबिर ये फ़सीलें ये हिसार
मुतलक़-उल-हुक्म शहंशाहों की अज़्मत के सुतूँ
साहिर लुधियानवी
नज़्म
बीतेंगे कभी तो दिन आख़िर ये भूक के और बेकारी के
टूटेंगे कभी तो बुत आख़िर दौलत की इजारा-दारी के
साहिर लुधियानवी
नज़्म
हाँ बे-कल बे-कल रहता है हो पीत में जिस ने जी हारा
पर शाम से ले कर सुब्ह तलक यूँ कौन फिरेगा आवारा
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
क्या साज़ जड़ाओ ज़र-ज़ेवर क्या गोटे थान कनारी के
क्या घोड़े ज़ीन सुनहरी के क्या हाथी लाल अमारी के
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
इमारत किया शिकवा-ए-ख़ुसरवी भी हो तो क्या हासिल
न ज़ोर-ए-हैदरी तुझ में न इस्तिग़ना-ए-सलमानी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
साकिनान-ए-अर्श-ए-आज़म की तमन्नाओं का ख़ूँ
इस की बर्बादी पे आज आमादा है वो कारसाज़
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
टूटेंगे कभी तो बुत आख़िर दौलत की इजारा-दारी के
जब एक अनोखी दुनिया की बुनियाद उठाए जाएगी