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नज़्म
चाँद निकला है ब-अंदाज़-ए-दिगर आज की शाम
बारिश-ए-नूर है ता-हद्द-ए-नज़र आज की शाम
अरमान अकबराबादी
नज़्म
फिर तिरी बज़्म-ए-हसीं में लौट कर आऊँगा मैं
आऊँगा मैं और ब-अंदाज़-ए-दिगर आऊँगा मैं
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ख़ुद ब-ख़ुद फिर गए नज़रों में ब-अंदाज़-ए-सवाल
वो जो रस्तों पे पड़े रहते हैं लाशों की तरह
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
दामन-ए-शौक़ को थामे हुए हैं शर्म-ओ-हया
दिल धड़कता है ब-अंदाज़-ए-दिगर आज की रात
क़ाज़ी गुलाम मोहम्मद
नज़्म
क़द्र-ए-जवाहर-ए-हसीं देख ब-चश्म-ए-ग़ौर तू
वर्ना हज़ार ज़िल्लतें तेरे लिए हैं और तू
अर्श मलसियानी
नज़्म
मुशाएरा ब-जुज़ अंदाज़-ए-हाव-हू क्या है
''तुम्हारे शहर में 'ग़ालिब' की आबरू क्या है''