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नज़्म
हमारा ख़ून भी सच-मुच का सेहने पर बहा होगा
है आख़िर ज़िंदगी ख़ून अज़-बुन-ए-नाख़ुन बर-आवर-तर
जौन एलिया
नज़्म
माँ अक्सर मेरी खाँसी पर तुम्हारा धोखा खाती है
ये बड़ की मेरी इक आदत तुम्हारी सी बताती है
मनोज अज़हर
नज़्म
रुख़्सत हुआ वो बाप से ले कर ख़ुदा का नाम
राह-ए-वफ़ा की मंज़िल-ए-अव्वल हुई तमाम