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नज़्म
आँख लगती है तो दिल को ये गुमाँ होता है
सर-ए-बालीं कोई बैठा है बड़े प्यार के साथ
हिमायत अली शाएर
नज़्म
दुनिया से आह जब हो अपनी सफ़र का सामाँ
बालीं पे अक़रबाँ हों सरगर्म-ए-नौहा-ख़्वानी
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
अम्न-ओ-अमाँ की नब्ज़ छुट्टी जा रही है क्यूँ?
बालीन-ए-ज़ीस्त आज अजल गा रही है क्यूँ?
मख़दूम मुहिउद्दीन
नज़्म
बिलाल अहमद
नज़्म
मैं अपने बातिन की ओट में हूँ
ये ख़िश्त साअ'त कि जिस की बालीं से जिस्म आधा निकल के मुझ को बुला रहा है
अख़्तर हुसैन जाफ़री
नज़्म
हुरमतुल इकराम
नज़्म
गिरफ़्तार-ए-क़लक़ होंगे मुलाज़िम भी मुसाहिब भी
सर-ए-बालीं खड़े होंगे अहिब्बा भी अक़ारिब भी
बिसमिल देहलवी
नज़्म
उँगलियाँ उट्ठेंगी सूखे हुए बालों की तरफ़
इक नज़र देखेंगे गुज़रे हुए सालों की तरफ़