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नज़्म
और हर इम्पोर्ट के लाइसेंस को उन के मियाँ
ग़ैर बैंकों में जो दौलत है वो आएगी यहाँ
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
जहाँ अंकबूत अपने तारों से बुनते हैं बैंकों के जाल
कि उन में शुमाल और मशरिक़ से आए हुए
ज़िया जालंधरी
नज़्म
अनीस नागी
नज़्म
घूस दलाली का सब पैसा डाल बिदेसी बैंकों में
रिश्वत-ख़ोर अफ़सर और नेता कब तक ख़ैर मनाएँगे
सदा अम्बालवी
नज़्म
शुक्र शिकवे को किया हुस्न-ए-अदा से तू ने
हम-सुख़न कर दिया बंदों को ख़ुदा से तू ने