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नज़्म
जहाँ बेले की झाड़ी में किसी नागिन की ब़ाँबी थी
अभी तक दिल ये कहता है कि उस बस्ती में फिर जाओ
चाैधरी मोहम्मद नईम
नज़्म
फूल इस के ख़ूबसूरत जाँ-बख़्श इन की निगहत
चम्पा है मोतिया है बेला है यासमन है
मोहम्मद शफ़ीउद्दीन नय्यर
नज़्म
क्या कहा बहर-ए-मुसलमाँ है फ़क़त वादा-ए-हूर
शिकवा बेजा भी करे कोई तो लाज़िम है शुऊर
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मुंतज़िर है एक तूफ़ान-ए-बला मेरे लिए
अब भी जाने कितने दरवाज़े हैं वा मेरे लिए