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नज़्म
भरो दामन को फूलों से बदन नागिन से डसवाओ
जहाँ अब हूँ वहाँ बेला है न नागिन की ब़ाँबी है
चाैधरी मोहम्मद नईम
नज़्म
मुझ से पहले कितने शा'इर आए और आ कर चले गए
कुछ आहें भर कर लौट गए कुछ नग़्मे गा कर चले गए