आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bik"
नज़्म के संबंधित परिणाम "bik"
नज़्म
बिन मुर्दे घर में शोर मचाती है मुफ़्लिसी
लाज़िम है गर ग़मी में कोई शोर-ग़ुल मचाए
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
मैं वो इक लाल हूँ जो बिक गया बाज़ारों में
फिर कोई पूछने मुझ को न यमन से आया
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
काश हम बिक के भी इस जिंस-ए-गिराँ को पा लें
ख़ुद भी खो जाएँ पर इस रम्ज़-ए-निहाँ को पा लें
मुस्तफ़ा ज़ैदी
नज़्म
सर-ए-बाज़ार बिक जाएगी तेरे प्यार की अज़्मत
चलेंगे इश्क़ के हस्सास दिल पर ज़ुल्म के आरे
प्रेम वारबर्टनी
नज़्म
काली बजरी के रोग़न में जीने वाले इस मा'सूम लहू की कौन सुनेगा
ममता बिक भी चुकी है चंद टकों में