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नज़्म
फुर्तियाँ चूहों की हैं बिल्ली की तर्रारी के साथ
आप रोकें ख़्वाह कितनी ही सितमगारी के साथ
जोश मलीहाबादी
नज़्म
घंटी बाँध के चूहे जब बिल्ली से दौड़ लगाते थे
पेट पे दोनों हाथ बजा कर सब क़व्वाली गाते थे
गुलज़ार
नज़्म
कुत्ते बिल्ली ओ गधे की भी ख़ुशामद कीजे
जो ख़ुशामद करे ख़ल्क़ उस से सदा राज़ी है
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
किसी की बस और किसी की बी-सी निकल रही है
अक़ीला ख़ाला के दोनों हाथों में आठ थैले लटक रहे हैं
इमरान शमशाद नरमी
नज़्म
इस का मालिक बिछड़ गया है ये भी उस के पास चली
इक बहते दरवाज़े पर इक भीगी बिल्ली बैठी है
साक़ी फ़ारुक़ी
नज़्म
बिल्ली को ख़्वाब क्या नज़र आता है क्या कहीं
हम को तो ख़्वाब में नज़र आती हैं टॉफ़ियाँ