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नज़्म
शाइ'र भी जो मीठी बानी बोल के मन को हरते हैं
बंजारे जो ऊँचे दामों जी के सौदे करते हैं
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
और उस पे भाई बोल उठा फ़ुज़ूल है ये गुफ़्तुगू फ़ुज़ूल है
निगाह देखती है ताक़ में रखी हैं चंद बोतलें
मीराजी
नज़्म
आई तब रिश्वत की चिड़िया पँख अपने खोल कर
वर्ना मर जाते मियाँ कुत्ते की बोली बोल कर
जोश मलीहाबादी
नज़्म
जो ऊपर ऊँचा बोल करे तो उस का बोल भी बाला है
और दे पटके तो उस को भी कोई और पटकने वाला है