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नज़्म
घर ऐ दिल-ए-बे-क़रार ज़िंदाँ से कम नहीं क़ैद कौन काटे
हसीन सरमा का चाँद दीवाना-वार को बुला रहा है
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
नज़्म
हो गए अक़्ल-ओ-ख़िरद नज़्र-ए-जुनूँ तेरे बग़ैर
दिल है और आठों-पहर इक वहशत-ए-बे-इख़्तियार
जौहर निज़ामी
नज़्म
तेरा चेहरा अर्ग़वानी तेरा दिल-ए-बे-आब-ओ-रंग
ज़िंदगी क्या है तिरी क़ानून से फ़ितरत के जंग