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नज़्म
लबों पे मौज-ए-तबस्सुम है दिल में गर्द-ए-मलाल
मैं ख़ुश तो हूँ मगर आँखों से अश्क बहते हैं
क़ैसर-उल जाफ़री
नज़्म
ये तिरे सर की सफ़ेदी और ये गर्द-ए-मलाल
में तो क्या शर्मा रहा है ख़ुद ख़ुदा-ए-ज़ुल-जलाल
जोश मलीहाबादी
नज़्म
जिन की आँखों में फ़क़त ज़ुल्मत-ए-फ़र्दा के हैं ख़्वाब
जिन के चेहरों पे फ़क़त साया-ए-अंदोह-ओ-मलाल
अली मीनाई
नज़्म
लाहौर में देखा उसे मदफ़ूँ तह-ए-मर्क़द
गर्द-ए-कफ़-ए-पा जिस की कभी काहकशाँ थी
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
नज़्म
उफ़ुक़ गर्द-ओ-ग़ुबार-ए-राह बन कर डूब जाते हैं
वो देखो पौ फटी अँधियारे जादों के शिगाफ़ों से
शफ़ीक़ फातिमा शेरा
नज़्म
उफ़ुक़ गर्द-ओ-ग़ुबार-ए-राह बन कर डूब जाते हैं
वो देखो पो फटी अँधियारे जादों के शिगाफ़ों से