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नज़्म
जहान-ए-आब-ओ-गिल से आलम-ए-जावेद की ख़ातिर
नबुव्वत साथ जिस को ले गई वो अरमुग़ाँ तू है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
सुना है घोंसले से कोई बच्चा गिर पड़े तो सारा जंगल जाग जाता है
सुना है जब किसी नद्दी के पानी में
ज़ेहरा निगाह
नज़्म
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा
ये खेप भरे जो जाता है ये खेप मियाँ मत गिन अपनी
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
इश्क़ की मस्ती से है पैकर-ए-गिल ताबनाक
इश्क़ है सहबा-ए-ख़ाम इश्क़ है कास-उल-किराम