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नज़्म
ख़्वाबों के गुलिस्ताँ की ख़ुश-बू-ए-दिल-आरा है
या सुब्ह-ए-तमन्ना के माथे का सितारा है
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
गो गुलिस्तान-ए-जहाँ पर मेरी नज़रें कम पड़ीं
और पड़ीं भी तो ख़ुदा शाहिद ब-चश्म-ए-नम पड़ीं
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
नज़्म
रंग-ए-गुल-हा-ए-गुलिस्तान-ए-वतन तुम से है
सोरिश-ए-नारा-ए-रिंदान-ए-वतन तुम से है
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ऐ 'सबा' ऐ ख़ामा-बरदार-ए-गुलिस्तान-ए-अदब
बिन तिरी शिरकत के महफ़िल में बनी है बात कब
सफिया अंकोलवी
नज़्म
क्या शय है क्या कहूँ रुख़-ए-ख़ंदान-ए-सुब्ह-ए-ईद
गोया बहार पर है गुलिस्तान-ए-सुब्ह-ए-ईद
मास्टर बासित बिस्वानी
नज़्म
मुद्दतों से है गुलिस्तान-ए-वतन उजड़ा हुआ
ये हमारे ख़ूँ से लाला-ज़ार होना चाहिए
सरदार नौबहार सिंह साबिर टोहानी
नज़्म
तख़्ता-ए-हिन्दोस्ताँ पर इंक़िलाब आने को है
इस गुलिस्तान-ए-बुरीदा में शबाब आने को है
टीका राम सुख़न
नज़्म
तुझी से ग़ैरत-ए-कश्मीर है दयार-ए-वतन
तुझी से रश्क-ए-इरम गुलिस्तान-ए-मुस्तक़बिल
मसूद अख़्तर जमाल
नज़्म
गुलिस्तान-ए-अदब में जिस क़दर थे मुंतशिर जल्वे
मुनज़्ज़म कर चुकी है उन को मिस्ल-ए-जिस्म-ओ-जाँ उर्दू
अलम मुज़फ़्फ़र नगरी
नज़्म
क़यामत था नज़ारा उस गुलिस्तान-ए-मोहब्बत का
नम-ए-रुख़्सार-ए-गुल से चश्म-ए-तर हम धो के आए हैं
नवाब सय्यद हकीम अहमद नक़्बी बदायूनी
नज़्म
ब-सू-ए-नौहा-आबाद-ए-जहाँ आहिस्ता आहिस्ता
निकल कर आ रही है इक गुलिस्तान-ए-तरन्नुम से
नून मीम राशिद
नज़्म
गुलशन-ए-आलम में जब तशरीफ़ लाती है बहार
रंग-ओ-बू के हुस्न क्या क्या कुछ दिखाती है बहार