aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "hajar"
शजर हजर नहीं कि हमहमेशा पा-ब-गिल रहें
जवाहरों की चटानें सी कुछ पिघलती हुईंशजर हजर की वो कुछ सोचती हुई दुनिया
शजर हजर पे हैं ग़म की घटाएँ छाई हुईसुबुक-ख़िराम हवाओं को नींद आई हुई
कोई इकाईशजर हजर हो कि ज़ी-नफ़्स हो
किसी शहर में किसी हजर मेंफ़र्श-ए-ज़मीं पर अर्श-ए-बरीं पर
कभी बेकसी को पुकारते हैं शजर हजरमिरे पास कुछ भी नहीं मगर
मिरे लहू में रवाँ वेद भी हैं क़ुरआँ भीशजर हजर भी हैं सहरा भी हैं गुलिस्ताँ भी
जब आकाश का दिल दुखता हैबच्चे बूढ़े शजर हजर चिड़ियाँ और कीड़े
रूह चीख़ उठती है हिलते हैं शजर और हजरख़ामुशी होती है कुछ और नवा-आलूदा
मिसाल-ए-तस्वीर जम गए थेशजर हजर सब के सब गिरेबाँ में सर झुकाए
शजर हजर हूँ कि इंसाँ हूँ या सितारे हूँसभी हुदूद के इक दाएरे में रहते हैं
शजर हजर सब को अज़्मतें दींतुझी ने दी थी
क्या शजरक्या हजर
हजर हजर परतमाम मख़्लूक़-ए-अर्ज़ के नाम
रसूल-ए-मस्लूब के दो हज़ार बरसों के बाद ये वाक़िआ हुआये उस ज़माने की बात है जब रसूल-ए-ख़ुर्शीद रास-उल-अफ़्लाक पर चमकता था
क्या समुंदरक्या हजर
इक अह्द-ए-हजर से मसनूई फ़तानत तकजब भी कोई ख़ूँ-आशाम सदा टकराई मेरे कानों से
औरअहद-ए-हजर के अपने बुज़ुर्गों के फ़ितरी ख़ौफ़-ओ-तजस्सुस से भरे हुए
यूँही हमेशा खिलाए हैं हम ने आग में फूलन उन की हार नई है न अपनी जीत नई
कि आख़िर इस जहाँ का एक निज़ाम-ए-कार है आख़िरजज़ा का और सज़ा का कोई तो हंजार है आख़िर
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