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नज़्म
'आफ़्ताब' आज फँसा जाता है फिर ताइर-ए-दिल
हाए अफ़्सोस कि सय्याद का जाल अच्छा है
आफ़ताब रईस पानीपती
नज़्म
न क्यूँ ऐ 'आफ़्ताब' आए नज़र उम्मीद की सूरत
कि जब तकलीफ़ में राहत के सामाँ देख लेता हूँ
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
जल्वा-ए-हुस्न-ए-अज़ल आए तसव्वुर में अगर
गोशा-ए-दिल में मचलते हुए अरमाँ होंगे
लाला अनूप चंद आफ़्ताब पानीपति
नज़्म
खुली फ़ज़ा की धूप वो कि जिस्म साँवले करे
बुतान-ए-आज़री कि मस्त-ए-ग़ुस्ल-ए-आफ़्ताब थे
अहमद फ़राज़
नज़्म
ख़ोशा-ए-पर्वीं कि है शादाब-ए-ख़ून-ए-आफ़्ताब
पानियों में लहलहाता है अजब अंदाज़ से