आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "kaafirii"
नज़्म के संबंधित परिणाम "kaafirii"
नज़्म
चले हैं बहर-ए-मय-कशी शुयूख़ भी रवाँ-दवाँ
ज़बान-ए-बर्ग-ए-गुल पे है ये नारा-ए-तरब-निशाँ
अर्श मलसियानी
नज़्म
सरीर काबिरी
नज़्म
जब कभी बिकता है बाज़ार में मज़दूर का गोश्त
शाह-राहों पे ग़रीबों का लहू बहता है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
पल दो पल में कुछ कह पाया इतनी ही स'आदत काफ़ी है
पल दो पल तुम ने मुझ को सुना इतनी ही ‘इनायत काफ़ी है