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नज़्म
गो कि बाक़ी नहीं कैफ़िय्यत-ए-तूफ़ान-ए-शबाब
फँस के जंजाल में दुनिया के ये क़िस्सा हुआ ख़्वाब
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
हल्की हल्की चाँदनी कैफ़ियत-ए-गुल-गश्त-ए-बाग़
वो लब-ए-जू आह हुस्न ओ इश्क़ के दो शब चराग़
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
रूठने वाले ब-पास-ए-वक़्त-ओ-आदाब-ए-शबाब
पिछली बातें भूल जाने का ज़माना आ गया
शमीम फ़ारूक़ बांस पारी
नज़्म
बज़्म-ए-आलम में वो कैफ़ियात-ए-रंग-ओ-बू नहीं
रौनक़-ए-ऐवान-ए-गेती आज शायद तू नहीं
मोहम्मद सादिक़ ज़िया
नज़्म
बहार-ए-रंग-ओ-शबाब ही क्या सितारा ओ माहताब ही क्या
तमाम हस्ती झुकी हुई है, जिधर वो नज़रें झुका रहे हैं
जिगर मुरादाबादी
नज़्म
जिस तरह ख़ंजर में जौहर जिस तरह मोती में आब
जिस तरह अर्ज़-ओ-समा में फ़ितरत-ए-हुस्न-ओ-शबाब