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नज़्म
पी पी करे पपीहा बगुले पुकारें तू-तू
क्या हुदहुदों की हक़ हक़ क्या फ़ाख़्तों की हू-हू
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
ज़माना फेंक देगा ख़ुद उन्हें क़अ'र-ए-हलाकत में
वो अपने हाथ से होंगे ख़ुद अपनी क़ब्र के बानी
अहमक़ फफूँदवी
नज़्म
है तिरी ता'मीर में मुज़्मर वही शान-ए-वफ़ा
तेरी हर ख़िश्त-ए-कुहन है जौहर-ए-कान-ए-वफ़ा
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
मिट्टी के सब दादी दादा मिट्टी के सब नानी नाना
मिट्टी के सब आँखों वाले अंधे काने सब मिट्टी के
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
कल और आएँगे नग़्मों की खिलती कलियाँ चुनने वाले
मुझ से बेहतर कहने वाले तुम से बेहतर सुनने वाले
साहिर लुधियानवी
नज़्म
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
रात हँस हँस कर ये कहती है कि मय-ख़ाने में चल
फिर किसी शहनाज़-ए-लाला-रुख़ के काशाने में चल