आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "khalq"
नज़्म के संबंधित परिणाम "khalq"
नज़्म
ख़ाली हैं गरचे मसनद ओ मिम्बर, निगूँ है ख़ल्क़
रोअब-ए-क़बा ओ हैबत-ए-दस्तार देखना
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
जो ख़ुशामद करे ख़ल्क़ उस से सदा राज़ी है
हक़ तो ये है कि ख़ुशामद से ख़ुदा राज़ी है
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
बिछी हुई है बिसात जिस की न इब्तिदा है न इंतिहा है
बिसात ऐसा ख़ला है जो वुसअत-ए-तसव्वुर से मावरा है
ज़िया जालंधरी
नज़्म
ख़ल्क़ को हर लहज़ा अपने हुस्न की रंगत दिखा
बे-तकल्लुफ़ क्या ही हर दिल में समाती है बहार