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नज़्म
दश्त-ए-तन्हाई में दूरी के ख़स ओ ख़ाक तले
खिल रहे हैं तिरे पहलू के समन और गुलाब
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
नब्ज़-ए-हस्ती का लहू काँपते आँसू में नहीं
उड़ने खुलने में है निकहत ख़म-ए-गेसू में नहीं
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
ये क़ुलक़ुल तीसरा पैग अब तो चौथा हो गुमाँ ये है
गुमाँ का मुझ से कोई ख़ास रिश्ता हो गुमाँ ये है
जौन एलिया
नज़्म
थे बहुत बेदर्द लम्हे ख़त्म-ए-दर्द-ए-इश्क़ के
थीं बहुत बे-मेहर सुब्हें मेहरबाँ रातों के बा'द
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
ढूँडी है यूँही शौक़ ने आसाइश-ए-मंज़िल
रुख़्सार के ख़म में कभी काकुल की शिकन में
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
घर-बार अटारी चौपारी क्या ख़ासा नैन-सुख और मलमल
चलवन पर्दे फ़र्श नए क्या लाल पलंग और रंग-महल
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
साहिर लुधियानवी
नज़्म
इश्क़ की मस्ती से है पैकर-ए-गिल ताबनाक
इश्क़ है सहबा-ए-ख़ाम इश्क़ है कास-उल-किराम
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ख़ाम है जब तक तू है मिट्टी का इक अम्बार तू
पुख़्ता हो जाए तू है शमशेर-ए-बे-ज़िन्हार तू
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
बाद-ए-सबा की मौज से नश-नुमा-ए-ख़ार-अो-ख़स!
मेरे नफ़स की मौज से नश-ओ-नुमा-ए-आरज़ू!