aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "lautii"
पीप बहती हुई गलते हुए नासूरों सेलौट जाती है उधर को भी नज़र क्या कीजे
वापस नहीं फेरा कोई फ़रमान जुनूँ कातन्हा नहीं लौटी कभी आवाज़ जरस की
पलट के कुएँ से जो आवाज़ लौटीवो समझा वो आया
बस्ती की लड़कियों में बदनाम हो रहा हूँखेतों से लौटती हैं जब दिन छुपे मकाँ को
मिरे सवालों के सारे जवाब ले आईचली गई थी मगर लौटी फिर से ख़्वाब में माँ
वो तख़्ते के पीछे खड़ी क़हक़हे मारती लौटती थीकहा मैं ने ख़ालिद से:
बाँधे उम्मीद की डोरकि लौट आएगी उस की कश्ती
लौटती हुई बाज़गश्त सेमेरी आँखों में जम गई है
दुकानें लौटी गईं राह-गीर मारे गएघरों में आग लगी तिफ़्ल ओ पीर मारे गए
शाम को चहचहातीलौटती चिड़िया को
भटक कर रास्ते सेलौटती हूँ
ख़ला बन कर जो लौटी हैंकिसी बे-नाम सहरा में
हर कोई नौहा-कुनाँ था कि पुरानी सदियाँबूढ़ी तहज़ीब को दफ़ना के अभी लौटी हैं
सदाएँ लौटती हैं बाम-ओ-दर से टकरा करइनान-ए-मुल्क पड़ी है हिनाई हाथों में
तुम्हारी गोयाई अब लौटी हैजब मन के साज़ सजाए थे मैं ने
पलक के झपकते कई साल बीतेमैं वापस जो लौटी तो मैं ने ये देखा
आसमान का रंग नीला थापरियाँ कोह-ए-क़ाफ़ से दुआएँ ले कर लौटी थीं
ये गो-धूल बेलाफ़ज़ा जैसे घर लौटती गाय भैंसों का रेवड़
वहाँ से आज वो लौटी तोअपने तीन बच्चों से लिपट कर ख़ूब रोई
और ख़्वाबीदा नशे में लौटती रातों की बत्तियाँ गुल हुईंख़ाक-दाँ सब जल-बुझे
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