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नज़्म
क्यूँ इशारा है उफ़ुक़ पर आज किस की दीद है
अलविदा'अ माह-ए-रमज़ाँ वो हिलाल-ए-ईद है
निसार कुबरा अज़ीमाबादी
नज़्म
हुब्ब-ए-क़ौमी का ज़बाँ पर इन दिनों अफ़्साना है
बादा-ए-उल्फ़त से पुर दिल का मिरे पैमाना है
चकबस्त ब्रिज नारायण
नज़्म
अब तक वही कड़क है बिजली की बादलों में
पस्ती सी आ गई है पर दिल के हौसलों में
चकबस्त ब्रिज नारायण
नज़्म
फ़िक्र-ए-इंसाँ पर तिरी हस्ती से ये रौशन हुआ
है पर-ए-मुर्ग़-ए-तख़य्युल की रसाई ता-कुजा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अभी तो हुस्न के पैरों पे है जब्र-ए-हिना-बंदी
अभी है इश्क़ पर आईन-ए-फ़र्सूदा की पाबंदी
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
तर्स आता है तुम्हारे हाल पर ऐ हिंदियों
ग़ैर के मुहताज हो अपने कफ़न के वास्ते
कुंवर प्रताप चंद्र आज़ाद
नज़्म
मुझे फ़ुर्सत नहीं है फ़र्त-ए-ग़म से सर उठाने की
गराँ है मेरे दिल पर शोरिश-ओ-काविश ज़माने की