आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "matar"
नज़्म के संबंधित परिणाम "matar"
नज़्म
अब भी दिलकश है तिरा हुस्न मगर क्या कीजे
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
क्या बधिया भैंसा बैल शुतुर क्या गौनें पल्ला सर-भारा
क्या गेहूँ चाँवल मोठ मटर क्या आग धुआँ और अँगारा
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
मर गया भूक में ये खा के कहीं कच्ची मटर
आज की ताज़ा ख़बर आज की ताज़ा ख़बर आज की ताज़ा ख़बर
सरपट लखनवी
नज़्म
इस गुलिस्ताँ में मगर देखने वाले ही नहीं
दाग़ जो सीने में रखते हों वो लाले ही नहीं
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मगर गुज़ारने वालों के दिन गुज़रते हैं
तिरे फ़िराक़ में यूँ सुब्ह ओ शाम करते हैं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
मेरे सीने पर मगर रखी हुई शमशीर सी
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ